पीपल पूजा के नियम, लाभ और सावचेतिया क्या है? – Pipal puja ke Niyam

दोस्तों आज का यह लेख आपको पीपल पूजा के नियम यानि Pipal puja ke Niyam सिखाने वाला है. आप जानते ही हो की हमारी भारतीय संस्कृति में और हमारे वेदो पुराणों के अनुसार पीपल पूजा करने का कितना माहात्म्य है. बड़े बड़े ऋषिओ ने भी पीपल पूजा करने के लाभ बताये है पीपल पूजा के नियम के साथ! तो आपसे निवेदन है की अगर आप Pipal puja ke Niyam जनना चाहते है तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े जिससे आप अच्छे से इस चीज़ को समज सके. तो आये शुरू करते है.

तो इससे पहले की हम पीपल पूजा के नियम जाने उससे पहले हम पीपल के पेड़ की पूजा कैसे की जाती है हमारे शास्त्रों के अनुसार इसके बारे में पूरी विधि जानते है, तो आइये विस्तार से जानते है:

कैसे करें पीपल के पेड़ की पूजा?

  • अगर आप लोग पीपल के पेड़ की पूजा करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए।
  • इसके लिए आपको शनिवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए।
  • उसके बाद आपको पीपल के पेड़ के नीचे सरसों का दीपक जलाना है।
  • अब आपको पीपल के पेड़ के कुछ पत्ते तोड़कर उन्हें गंगाजल से धोना है।
  • उसके बाद पानी में थोड़ी सी हल्दी डालकर थोड़ा गाढ़ा घोल तैयार कर लें, उसके बाद हल्दी के घोल से पीपल के पत्ते पर “ह्रीं” लिख दें।
  • उसके बाद आपको इन पीपल के पत्तों की श्रद्धा पूर्वक पूजा करनी है।
  • यदि कोई भी व्यक्ति इस प्रकार पीपल के पेड़ की पूजा करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • कहा जाता है कि पीपल के पेड़ की पूजा करने से हमारे इष्टदेव भी प्रसन्न होते हैं और हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पीपल पूजा के नियम – Pipal puja ke Niyam

Pipal puja ke Niyam: पीपल पूजा, एक प्राचीन हिंदू संस्कृति है जिस्मे पीपल वृक्ष की पूजा और आराधना की जाती है। ये पूजा भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है और लोगों के लिए पवित्र माना जाता है। पीपल पूजा के नियम(Pipal puja ke Niyam) यहां निचे दिए गए हैं:

शुभ दिन और समय: पीपल पूजा को शुभ मुहूर्त और दिनों में किया जाता है। अधिकाँश लॉग इस पूजा को सावन महिन में, शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा दिन, या अमावस्या दिन, या सोमवार (सोमवार) को करते हैं।

पवित्र स्थान: पीपल पूजा के लिए पवित्र और शुद्ध स्थान का चुनाव करना चाहिए। पीपल वृक्ष को पवित्र स्थान जैसे मंदिर, तीर्थ स्थल या वन में ही चूना जाना चाहिए।

सज्जा: पीपल वृक्ष के आस पास सज्जा लगानी चाहिए, जैसे रंगोली, फूलों की माला, चावल, सिंदूर, दिए, धूप, अगरबत्ती, आदि। आप पीपल वृक्ष को सजने में अपनी रुचि और संस्कृति के अनुरूप वास्तु का उपयोग कर सकते हैं।

उपवास: पीपल पूजा के दिन उपवास (व्रत) रखना चाहिए। ये उपाय संकल्प के साथ रखना जन चाहिए और समय अनुसार कहीं या सौम्य हो सकती है।

जल अभिषेक: पीपल वृक्ष के जल अभिषेक करना चाहिए। पंचामृत या गंगाजल से जल अभिषेक करने से वृक्ष को पवित्रता मिलती है।

दीप दान: पीपल पूजा में दीप दान करना चाहिए। दिए को पीपल वृक्ष के आस पास रखें और उसमें घी और बत्ती जलाएं।

मंत्र जाप: पीपल पूजा में मंत्र जाप करना चाहिए। गायत्री मंत्र, ॐ नमः शिवाय, या अन्य पवित्र मंत्र का जाप कर सकते हैं।

प्रसाद: पीपल पूजा के बाद पीपल वृक्ष को प्रसाद अर्पण करना चाहिए। मीठा, फल, दूध, घी, या अन्य पवित्र भोजन को प्रसाद के रूप में चढ़ाना चाहिए।

ध्यान: पीपल वृक्ष को ध्यान से देखना चाहिए और उसकी आराधना करनी चाहिए। ध्यान करने से मन शांत होता है और आत्मा को शांति प्राप्त होती है।

समापन: पीपल पूजा के बाद संपन्न की दुआ करनी चाहिए और अपने और अपने परिवार के हित के लिए आशीर्वाद लेना चाहिए।

पीपल के वृक्ष की पूजा करने के लाभ कौनसे है?

  1. अगर आप लोग पीपल के पेड़ की पूजा करना चाहते हैं तो इसके लिए हम आपको बता दें कि सूर्योदय से पहले कभी भी पीपल के पेड़ की पूजा नहीं करनी चाहिए, ऐसा करने से हमारे हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार आपके घर में दरिद्रता का वास होता है।
  2. पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा गया है कि देवी लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ में निवास करती हैं और उन्हें दरिद्रता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ की पूजा न करें और रविवार के दिन कभी भी पूजा न करें। पीपल के वृक्ष में जल न चढ़ाएं।
  3. लेकिन अगर आप नियमित रूप से पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और आपके शत्रुओं का नाश होता है, आपके घर में सुख-समृद्धि, धन और संतान सुख आता है। कहा जाता है कि पीपल के पेड़ की पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं, इसीलिए कहा जाता है कि अमावस्या या शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए, इस दिन पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं।
  4. शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए, यह अत्यंत लाभकारी माना जाता है अन्यथा प्रतिदिन कार्य करना संभव नहीं होगा, इसीलिए इसके लिए एक निश्चित दिन अर्थात शनिवार रखा गया है। और बुरे काम बनते हैं और आपको अपने जीवन में सफलता भी मिलती है। शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना श्रेष्ठ माना जाता है। पीपल के पेड़ को काटना वर्जित माना गया है। तथा संतान की वृद्धि में बाधा आ सकती है।
  5. पीपल के पेड़ की पूजा करने वाला व्यक्ति शनि दोष से हमेशा दूर रहता है।
  6. यदि कोई व्यक्ति पीपल के पेड़ की पूजा करता है तो उसे हमेशा मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  7. पीपल के वृक्ष की पूजा करने से पितृ देवता भी प्रसन्न होते हैं।
  8. इसके अलावा पीपल के पेड़ की पूजा से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

इन बातों का विशेष ध्यान रखें

पीपल की पूजा कैसे करनी चाहिए या पीपल पूजा के नियम जान लिए लेकिन पीपल पूजा करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की भी आवश्यकता होती है। रविवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। पीपल के पेड़ को काटने से बचें। ऐसा करने से संतान वृद्धि रुक जाती है। शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय से पहले कभी भी पीपल के पेड़ की पूजा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि उस समय मां लक्ष्मी की बहन दरिद्रता में निवास करती है। इससे आपके घर में दरिद्रता आ सकती है। वहीं पीपल के पेड़ को लेकर मान्यता है कि परिक्रमा करने से जीवन से जुड़े दोषों से मुक्ति मिलती है।

 

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Conclusion

आशा है की इस लेख से आपको पीपल पूजा के नियम अच्छे से मालूम हो गए होंगे, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि हमने यहाँ पीपल पूजा कैसे की जाती है और किन किन बातो का ध्यान रखना होता है तथा पीपल पूजा से क्या क्या लाभ होते है इन सभी के बारे में भी विस्तार से माहिती दी है तो आपसे निवेदन है की कृपया इस लेख को अन्य लोगो से शेयर करे ताकि वे भी पीपल पूजा के नियम से अवगत हो सके और भविष्य में पीपल की पूजा के दौरान किसी भी भूल से बच सके. लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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