52 Shakti Peeth Name list in Hindi | 52 शक्ति पीठ के नाम हिंदी में

52 shakti peeth name list in hindi: दोस्तों अगर आप 52 shakti peeth name list in hindi के बारे में Google सर्च करते हुए यहाँ आये है तो आप एकदम सही जगह पर आये है. तो चलिए आज के लेख में हम ना सिर्फ 52 shakti peeth name list in hindi की जानकारी देंगे बल्कि एक एक के बारे में बड़े ही विस्तार से बात करेंगे!

देवी के प्रसिद्ध और पवित्र मंदिरों में 52 शक्तिपीठ शामिल हैं। यूं तो 51 शक्तिपीठ(52 shakti peeth name list in hindi) माने जाते हैं, लेकिन तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठों का उल्लेख किया गया है। इन शक्तिपीठों के अस्तित्व के पीछे एक विशेष कारण है।

हम सभी जानते हैं कि प्रजापति दक्ष के द्वारा भगवान शिव को अपमानित करने के बाद माता सति ने दक्ष के अन्न से पोषित देहि को पवित्र अग्नि को समर्पित कर दिया था। शिव जी ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विधवंश किया।भगवान शंकर जी माता सति की देहि को लेकर जब शोकातुर होकर कैलाश की ओर जाने लगे तब श्री विष्णु जी ने जनकल्याण के लिए सुदर्शन चक्र से माता सति के शरीर को 52(52 shakti peeth name list in hindi) भागों में विघटित कर दिया।

तो चलिए बिना किसी देरी के अब हम 52 shakti peeth name list in hindi के बारे में विस्तार से जानते है जिसके लिए आप यहाँ आये है:

52 shakti peeth name list in hindi

52 shakti peeth name list in hindi: तो चलिए सबसे पहले हम इस Tabular data की मदद से 52 shakti peeth name list in hindi के बारे में जानते है:

हिंगलाज शर्कररे सुगंधा महामाया
ज्वालाजी त्रिपुरमालिनी वैद्यनाथ दाक्षायणी
महामाया विरजा गंडकी बहुला
उज्जयिनी त्रिपुर सुंदरी भवानी भ्रामरी
कामाख्या प्रयाग जयंती युगाण्या
कालीपीठ किरीट विशालाक्षी कन्याश्रम
सावित्री गायत्री श्रीशैल देवगर्भा
कालमाधव शोन्देश शिवानी वृंदावन
नारायणी वाराही अपर्णा श्रीसुंदरी
कपालिनी चंद्रभागा अवंती भ्रामरी
सर्वशैल स्थान गोदावरीतिर उमा महादेवी कलिका
जयदुर्गा महिषमर्दिनी यशोरेश्वरी फुल्लरा
नंदिनी इंद्राक्षी अंबिका

52 shakti peeth name list in hindi

52 shakti peeth name list in hindi विस्तारपूर्वक

तो चलिए विस्तार से माहिती एकत्रित करते है 52 shakti peeth name list in hindi के बारे में..

1. कराची
यह कराची से 125 किमी दूर है। यहां माता का ब्रह्मरंध (सिर) गिरा था। इसकी शक्ति कोटरी (भैरवी-कोट्टविशा) है और भैरव को भीम लोचन कहते हैं।

2. शर्कररे
यह शक्तिपीठ पाकिस्तान के कराची के पास स्थित है। यहां मां की आंख गिरी थी। इसकी शक्ति- महिषासुरमर्दिनी और भैरव क्रोधी कहलाते हैं।

3. सुगंधित
बांग्लादेश में शिकारपुर के पास सोंध नदी के तट पर स्थित है। यहां मां की नाक गिरी थी। इसकी शक्ति है सुनंदा और भैरव को त्र्यंबक कहते हैं।

4. महामाया
भारत के कश्मीर में पहलगाँव के पास माता का गला गिरा था। इसकी शक्ति है महामाया और भैरव को त्रिसन्ध्येश्वर कहते हैं।

5. ज्वाला जी
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी। इसे ज्वाला जी स्थान कहते हैं। इसकी शक्ति है सिद्धिदा (अंबिका) और भैरव को उन्मत्त कहते हैं।

6. त्रिपुरामाली
पंजाब के जालंधर में देवी तालाब, जहां माता का बायां स्तन गिरा था। इसकी शक्ति है त्रिपुरमालिनी और भैरव को प्रचंड कहा जाता है।

7. वैद्यनाथ
झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथधाम जहां माता का हृदय गिरा था। इसकी शक्ति है जय दुर्गा और भैरव को वैद्यनाथ कहते हैं।

8. महामाया
नेपाल का गूजरेश्वरी मंदिर, जहां गिरे थे माता के दोनों घुटने (जानू) इसकी शक्ति है महाशिरा (महामाया) और भैरव को कपाली कहते हैं।

9. दक्षिणायनी
तिब्बत में कैलाश मानसरोवर के मनसा के पास एक पत्थर की शिला पर माता का दाहिना हाथ गिरा था। इसकी शक्ति हैं दक्षिणायनी और भैरव अमर।

10. विरजा
यह शक्तिपीठ ओडिशा के विराज में उत्कल में स्थित है। यहां मां की नाभि गिरी थी। इसकी शक्ति है विमला और भैरव को जगन्नाथ कहते हैं।

11. गंडकी
नेपाल में मुक्ति नाथ मंदिर, जहां माता का सिर या गंधस्थल यानी मंदिर गिरा था। इसकी शक्ति हैं गंडकी चंडी और भैरव चक्रपाणि।

12. बहुला
पश्चिम बंगाल में अजेय नदी के तट पर बाहुल स्थान पर माता का बायां हाथ गिरा था। इसकी शक्ति हैं देवी बहुला और भैरव को भीरुक कहते हैं।

13. उज्जयिनी
पश्चिम बंगाल के उज्जयिनी नामक स्थान पर माता की दाहिनी कलाई गिरी थी। इसकी शक्ति है मंगल चंद्रिका और भैरव को कपिलांबर कहते हैं।

14. त्रिपुरा सुंदरी
त्रिपुरा के राधाकिशोरपुर गांव में माता बधी पहाड़ की चोटी पर माता का दाहिना पैर गिरा था। इसकी शक्ति है त्रिपुर सुंदरी और भैरव को त्रिपुरेश कहते हैं।

15. भवानी
बांग्लादेश में चंद्रनाथ पर्वत पर छत्रल (चट्टाल या चहल) में माता की दाहिनी भुजा गिरी थी। भवानी इसकी शक्ति हैं और भैरव को चंद्रशेखर कहते हैं।

16. भ्रामरी
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी के त्रिसरौत स्थान पर माता का बायां पैर गिरा था। इसकी शक्ति माया है और भैरव को अंबर और भैरवेश्वर कहते हैं।

17. कामाख्या
असम के कामगिरी में स्थित नीलांचल पर्वत के कामाख्या स्थान पर माता का योनि भाग गिरा था। कामाख्या इसकी शक्ति हैं और भैरव को उमानंद कहते हैं।

18. प्रयाग
उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद (प्रयाग) के संगम तट पर माता के हाथ की अंगुली गिरी थी। इसकी शक्ति है ललिता और भैरव को भव कहते हैं।

19. जयंती
बांग्लादेश के खासी पर्वत पर जयंती मंदिर, जहां माता की बायीं जांघ गिरी थी। इसकी शक्ति है जयन्ती और भैरव को क्रमदीश्वर कहते हैं।

20. युग
पश्चिम बंगाल के युगद्या स्थान पर माता के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था। इसकी शक्ति है भूतधात्री और भैरव को क्षीर खंडक कहते हैं।

21. कालीपीठ
कोलकाता के कालीघाट में मां के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था। इसकी शक्ति है कालिका और भैरव को नकुशील कहते हैं।

22. किरीट
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के किरीटकोण गांव के पास मां का मुकुट गिरा था। इसकी शक्ति के कारण विमला और भैरव को संवत्त्र कहा जाता है।

23. विशालाक्षी
यूपी के काशी में मणिकर्णिका घाट पर मां के मोतियों से जड़े झुमके गिरे थे। शक्ति विशालाक्षी मणिकर्णि हैं और भैरव को काल भैरव कहते हैं।

24. कन्याश्रम
कन्याश्रम में मां की पीठ का हिस्सा गिरा था। इसकी शक्ति है सर्वणी और भैरव को निमिष कहते हैं।

25. सावित्री
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी (खाड़ी) गिरी थी। इसकी शक्ति है सावित्री और भैरव को स्थाणु कहते हैं।

26. गायत्री
अजमेर के निकट पुष्कर के मणिबंध स्थान के गायत्री पर्वत पर दो मणिबंध गिरे थे। इसकी शक्ति है गायत्री और भैरव को सर्वानंद कहते हैं।

27. श्रीशैल
बांग्लादेश में शैल नामक स्थान पर माता का कंठ (गर्भाशय ग्रीवा) गिरा था। इसकी शक्ति हैं महालक्ष्मी और भैरव को शम्बरानंद कहते हैं।

28. देवगर्भा
पश्चिम बंगाल में कोपाई नदी के तट पर कांची नामक स्थान पर माता की अस्थि गिरी थी। इसकी शक्ति है देवगर्भ और भैरव को रुरु कहते हैं।

29. कलामाधव
माता का बायां कूल्हा मध्य प्रदेश के सोन नदी तट के पास गिरा था, जहां एक गुफा है। इसकी शक्ति काली है और भैरव को असितांग कहते हैं।

30. शोंडेश
मध्यप्रदेश के शोणदेश स्थान पर माता का दाहिना नितम्ब गिरा था। इसकी शक्ति है नर्मदा और भैरव को भद्रसेन कहते हैं।

31. शिवानी
यूपी में चित्रकूट के पास रामगिरी स्थान पर मां का दाहिना सीना गिरा था। इसकी शक्ति है शिवानी और भैरव को चंड कहते हैं।

32. वृंदावन
मथुरा के पास वृंदावन के भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छे और चूड़ामणि गिरे थे। इसकी शक्ति है उमा और भैरव को भूतेश कहते हैं।

33. नारायणी
कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर है, जहां माता के दांत (ऊर्ध्वाधर दांत) गिरे थे। शक्तिनारायणी और भैरव संहारक हैं।

34. वाराही
पंचसागर (अज्ञात स्थान) में माता के नीचे के दांत (अधोदंता) गिरे थे। इसकी शक्ति(52 shakti peeth name list in hindi) है वाराही और भैरव को महारुद्र कहते हैं।

35. अपर्णा
बांग्लादेश के भवानीपुर गांव के समीप करतोया तट पर मां की पायल (तलप) गिरी थी। इसकी शक्ति अर्पित की जाती है और भैरव को वामन कहा जाता है।

36. श्रीसुंदरी
मां के दाहिने पैर की पायल लद्दाख के पहाड़ पर गिरी थी। इसकी शक्ति हैं श्रीसुंदरी और भैरव को सुंदरानंद कहते हैं।

37. कपालिनी
पश्चिम बंगाल में पूर्वी मेदिनीपुर के पास तामलुक में विभाष स्थान पर माता की बायीं एड़ी गिरी थी। इसकी शक्ति है कपालिनी (भीमरूप) और भैरव को शर्वानंद कहते हैं।

38. चंद्रभागा
गुजरात के जूनागढ़ प्रभास क्षेत्र में माता का पेट गिरा था। इसकी शक्ति है चंद्रभागा और भैरव को वक्रतुंड कहते हैं।

39. अवंती
उज्जैन शहर में शिप्रा नदी के किनारे भैरव पर्वत पर माता के होठ गिरे थे। इसकी शक्ति है अवन्ति और भैरव को लम्बकर्ण कहते हैं।

40. भ्रामरी
महाराष्ट्र के नासिक शहर में स्थित गोदावरी नदी की घाटी में स्थित जनस्थान पर माता की ठुड्डी गिरी थी। शक्ति भ्रामरी हैं और भैरव विराटाक्ष हैं।

41. सर्वशैल स्थान
आंध्र प्रदेश में कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास माता का बायां गुदा (गाल) गिरा था। इसकी शक्ति है राकिणी और भैरव को वत्सनाभम कहते हैं।

42. गोदावरीतिर
यहां माता की दक्षिण गांड गिरी थी। इसकी शक्ति है विश्वेश्वरी और भैरव को दंडपाणि कहते हैं।

43. कुमारी
माता का दाहिना कंधा बंगाल के हुगली जिले में रत्नाकर नदी के तट पर गिरा था। इसकी शक्ति है कुमारी और भैरव को शिव कहते हैं।

44. उमा महादेवी
भारत-नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के पास मिथिला में माता का बायां कंधा गिरा था। इसकी शक्ति है उमा और भैरव को महोदर कहते हैं।

45. कालिका
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के नलहाटी स्टेशन के पास नलहाटी में मां के पैर की हड्डी गिरी थी। इसकी शक्ति हैं कालिका देवी और भैरव को योगेश कहते हैं।

46. जयदुर्गा
माता के दोनों कान कर्नाट (अज्ञात स्थान) में गिरे थे। इसकी शक्ति है जयदुर्गा और भैरव को अभिरु कहते हैं।

47. महिषमर्दिनी
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में पापड़ नदी के तट पर माता का भृमध्याय (मन) गिरा था। शक्ति महिषमर्दिनी हैं और भैरव वक्रनाथ हैं।

48. यशोरेश्वरी
बांग्लादेश के खुलना जिले में माता के हाथ-पैर (पानीपद्म) गिरे थे। इसकी शक्ति है यशोरेश्वरी और भैरव को चंड कहते हैं।

49. फुलरा
पश्चिम बंगाल के लाभपुर स्टेशन से दो किमी दूर अठस स्थान पर माता के होठ गिरे थे। इसकी शक्ति है फुल्रा और भैरव को विश्वेश कहते हैं।

50. नंदिनी
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के नंदीपुर में बरगद के पेड़ के पास मां का हार गिरा था। शक्ति नंदिनी हैं और भैरव नंदिकेश्वर हैं।

51. इंद्राक्षी
माता की पायल संभवत: श्रीलंका के त्रिंकोमाली में गिरी थी। इसकी शक्ति है इंद्राक्षी और भैरव को राक्षसेश्वर कहते हैं।

52. अंबिका
विराट (अज्ञात स्थान) के पैर का अंगूठा गिर गया था। इसकी शक्ति है अम्बिका और भैरव को अमृत कहते हैं।

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Conclusion

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