Aupcharik Patra Format | औपचारिक पत्र फॉर्मेट इन हिंदी

यदि आप रुचि रखते हैं कि Aupcharik Patra Format क्या हैं? फॉर्मल लेटर के प्रकार, फॉर्मल लेटर राइटिंग यानी फॉर्मल लेटर कैसे लिखें या प्रिंसिपल को फॉर्मल लेटर कैसे लिखें? औपचारिक पत्र की आवश्यकता क्यों है और औपचारिक पत्र लिखने का सही प्रारूप क्या है, इसकी जानकारी देंगे।

तो इस लेख के मध्यम से हमने आपको हिंदी में औपचारिक पत्र के बारे में उचित जानकारी दी है। तो आपसे निवेदन है की Aupcharik Patra Format (औपचारिक पत्र का फॉर्मेट) जानने के लिए इस लेख को आप आखिर तक जरूर पढ़ना।

अधिकतर लोग ऐसे होते हैं जो कागज पर हिंदी औचारिक पत्र लेखन का सही प्रारूप न जानने के कारण उचित औपचारिक पत्र नहीं लिख पाते हैं और औपचारिक पत्र का प्रारूप भी नहीं जानते हैं। यदि आप किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी संस्था को हिंदी प्रारूप में औपचारिक पत्र लिखना चाहते हैं, तो आपको उसके प्रारूप के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको हिंदी औपचारिक पत्र उदाहरणों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। औपचारिक पत्र वे पत्र होते हैं जिनमें आप केवल अपनी समस्या के बारे में लिखते हैं, Aupcharik Patra Format के पत्र में आपका कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं होता है।

औपचारिक पत्र क्या है?

औपचारिक पत्र फॉर्मेट: ऐसे पत्र जो किसी सरकारी कार्यालय, सरकारी विद्यालय के प्रधानाचार्य या किसी सरकारी संस्था को अपनी समस्याएँ बताने या अपनी समस्याओं के समाधान के लिए लिखे जाते हैं, औपचारिक पत्र कहलाते हैं।

जैसे अगर आप अपने स्कूल से छुट्टी चाहते हैं तो आप उसके लिए अपने स्कूल के प्रिंसिपल को पत्र लिखते हैं तो वह फॉर्मल लेटर के अंतर्गत आता है। हमारे स्कूलों में प्रधानाध्यापक को एक औपचारिक पत्र लिखना बहुत महत्वपूर्ण है।

औपचारिक पत्रों में हम केवल अपने काम या समस्या के बारे में ही लिखते हैं। इस प्रकार का पत्र(Aupcharik Patra Format) संक्षिप्त होता है, अर्थात कम शब्दों में अपने कार्य के बारे में बताने के लिए, स्पष्टता का अर्थ है कि पत्र प्राप्त करने वाला आपकी बात को आसानी से समझ सकता है और स्वयं पूर्णता का अर्थ है पूर्ण। बातें इस तरह से लिखी गई हैं कि उन्हें एक ही अक्षर में पूरा किया जा सकता है।

औपचारिक पत्रों के प्रकार

औपचारिक पत्र फॉर्मेट: औपचारिक पत्र क्या है यह जानने के बाद आइये अब चर्चा करते है की औपचारिक पत्रों के प्रकार कितने होते है! तो इसक तीन मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है:

प्रार्थना पत्र –

प्रार्थना पत्र अनुरोध या प्रार्थना करने के लिए लिखा जाता है। इस प्रकार के पत्र में शिकायत, सुधार, आवेदन या छुट्टी के प्रयोजन के लिए लिखा जाता है। यह पत्र किसी भी सरकारी विभाग के अधिकारी द्वारा विद्यालय के प्रधानाचार्य को लिखा जा सकता है।

कार्यालय पत्र –

कार्यालय पत्र किसी भी सरकारी अधिकारी या अधिकारी, स्कूल-कॉलेज के प्रधानाध्यापक या प्रधानाचार्य को लिखा जाता है। कार्यालय पत्र में परिवहन विभाग, थानाध्यक्ष, स्कूल के प्रधानाचार्य, समाचार पत्र के संपादक, बिजली विभाग के अधिकारी, अध्यक्ष जैसे व्यक्ति लिखे होते हैं।

व्यावसायिक पत्र-

व्यावसायिक पत्र का उद्देश्य धन संबंधी लेन-देन होता है। इस पत्र में क्रय-विक्रय आदि से संबंधित जानकारी के लिए लिखा जाता है। इन पत्रों में व्यवसायी जैसे दुकानदार, व्यापारी, कंपनी, प्रकाशक आदि लिखे होते हैं।

औपचारिक पत्र लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए

औपचारिक पत्र फॉर्मेट के लिए कुछ जरूरी बातो का ख्याल जरुरी है, आये देखते है वे कौनसी है:

  1. औपचारिक पत्र किसी अधिकारी या अधिकारी को लिखा जाता है। ऐसे में इन पत्रों को लिखते समय भाषा का प्रयोग बहुत सावधानी से करना होता है, इसमें अनावश्यक बातों का उल्लेख नहीं करना चाहिए।
  2. इस प्रकार के पत्र में अनुरोध से संबंधित उद्देश्य भी शामिल होते हैं। ऐसे में पत्र का प्रभावी प्रारंभ और अंत होना आवश्यक है ताकि जिस कार्य के लिए पत्र लिखा गया है उस पर अधिकारी या कर्मचारी त्वरित कार्रवाई कर सके।
  3. पत्र की भाषा अत्यंत सरल तथा स्पष्ट एवं सुन्दर होनी चाहिए।
  4. इसमें बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बातें नहीं लिखी जानी चाहिए।
  5. पत्र को हमेशा हाशिये की रेखा के साथ ही लिखना चाहिए, इससे अक्षर सुंदर और स्पष्ट दिखाई देता है।

Aupcharik Patra Format (औपचारिक पत्र का फॉर्मेट)

औपचारिक पत्र फॉर्मेट में 7 भाग होते हैं, पत्र की शुरुआत ‘प्रति’ लिखकर प्राप्तकर्ता के शीर्षक और पते से करें।

विषय-

आप जिस भी विषय पर पत्र लिख रहे हैं, उसे एक वाक्य में स्पष्ट कीजिए।

पता –

जिस व्यक्ति के लिए पत्र लिखा जा रहा है उसका पता सर, मैडम, आदरणीय आदि शब्दों से लिखें।

विषय वस्तु –

विषय वस्तु 2 पैराग्राफ में लिखी जाती है।
पहले पैराग्राफ में वाक्य की शुरुआत ‘Rewards that’ से करनी चाहिए और फिर अपने बारे में बताना चाहिए।
दूसरा परिच्छेद लिखकर आप उनसे क्या उम्मीद करते हैं – ‘आपसे विनम्र अनुरोध है’ लिखें।

हस्ताक्षर और नाम –

अगर आपकी वजह से किसीका दिल दुख है तो उसके लिए हमें दूध है या खेद है जैसे शब्दों का प्रयोग करें और फिर अंत में अपना सिग्नेचर, भवदीय, प्रार्थना आदि लिख कर अपना हस्ताक्षर करें और उसके नीचे अपना नाम लिखें।

पता –

यहाँ पत्र लिखने वाले को अपना पूरा पता लिखना चाहिए।

दिनांक –

वह दिनांक लिखें जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है।

औपचारिक पत्र का एक उदाहरण

आइये अब हम Aupcharik Patra Format का एक उदाहरण देख लेते है जिससे यह Concept आपके दिमाग में एकदम से clear हो जायेगा।

विद्यालय में रक्तदान शिविर के लिए प्रधानाचार्य को पत्र

To,

श्री प्राचार्य
सेंट ज़ेवियर स्कूल, मुंबई
दिनांक 8 अप्रैल 2023

विषय- विद्यालय में रक्तदान शिविर आयोजित करने के संबंध में

माननीय महोदय

मैं आपके विद्यालय में 10वीं कक्षा का छात्र हूँ और विद्यार्थी परिषद का सचिव भी हूँ। महोदय, इस बार हम सभी विद्यार्थियों की इच्छा है कि विद्यालय परिसर में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाए।

इससे छात्रों में परोपकार और समाज सेवा की भावना का विकास होगा और रक्तदान को लेकर उनके मन में व्याप्त यह भ्रांतियां भी दूर होंगी कि रक्तदान करने से शरीर कमजोर हो जाता है।

रक्तदान शिविर से संबंधित सभी प्रकार की व्यवस्थाओं के लिए हमें विद्यालय परिसर से सहयोग की आवश्यकता है, साथ ही सभी आयोजनों के लिए विद्यालय परिसर से अभिभावक संघ का सहयोग भी आवश्यक है।

मुझे उम्मीद है कि आप सभी छात्रों की इच्छा को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द स्कूल में रक्तदान शिविर आयोजित करने की कृपा करेंगे।

धन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य
करन शर्मा
कक्षा 11
दिनांक 8 अप्रैल 2023
रोल नंबर XXX

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Conclusion

हमें पूरी आशा है की आपको आज का यह लेख पढ़के बहुत कुछ सिखने को मिला हॉगा Aupcharik Patra Format के बारे में, न सिर्फ इतना बल्कि औपचारिक पत्र के प्रकार कितने होते है तथा उनको लिखने में किन किन बातो का ध्यान रखना आवश्यक है तभी एक perfect औपचारिक पत्र लिखा जा सकता है, इन सभी बातो की चर्चा हमने आज इस लेख में की. आपसे प्रार्थना है की औपचारिक पत्र फॉर्मेट का यह लेख अन्य लोगो से भी शेयर करे और उन्हें भी इसके बारे में knowledge दे. आपका बहुत बहुत शुक्रिया!

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