Durlabh Kashyap Biography in Hindi | दुर्लभ कश्यप की जीवनी हिंदी में

Durlabh Kashyap Biography in Hindi(दुर्लभ कश्यप की जीवनी हिंदी में): दुर्लभ कश्यप उज्जैन का सबसे खूंखार अपराधी था। उससे जुड़े कई आपराधिक मामले थे। मसलन, अवैध हथियार चलाने, जान से मारने की धमकी देने, दंगा करने, हत्या के प्रयास और रंगदारी जैसे मामले उससे जुड़े थे।

महज 20 साल की उम्र में दुर्लभ कश्यप की हत्या कर दी गई थी। 7 महीने बाद उनकी मां पद्मा ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

सिर्फ इतना ही नहीं Durlabh Kashyap Biography in Hindi के आज इस लेख में हम दुर्लभ कश्यप कैसे Crime की दुनिया में आया, कैसे पकड़ा गया और आखिर किसने उसकी हत्या कर दी. ये सब जानने के लिए हमारा निवेदन ही की आप इस लेख को आखिर तक जरूर से पढ़े.

Durlabh Kashyap Biography in Hindi | दुर्लभ कश्यप की जीवनी हिंदी में

आइये अब हम विस्तार से जानते है Durlabh Kashyap Biography in Hindi | दुर्लभ कश्यप की जीवनी हिंदी में, और यह समझने की कोशिश करे की आखिर वह कौनसे पल थे या मज़बूरी थी जिसने दुर्लभ को क्राइम की दुनिया में आने के लिए मजबुर किया और आखिर क्यों उसने यह रास्ता चुना!

दुर्लभ कश्यप का प्रारंभिक जीवन

दुर्लभ कश्यप का जन्म 08 नवंबर 2000 को उज्जैन, मध्य प्रदेश, भारत में हुआ था। उनका उपनाम कोहिनूर था। उनका जन्म एक मध्यवर्ती हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मनोज कश्यप है। जो पेशे से सरकारी स्कूल के शिक्षक थे।

इनकी माता का नाम पद्मा था। उनकी मां उज्जैन के क्षीरसागर में एक स्कूल टीचर थीं। दुर्लभ को बिल्ली पालना बहुत पसंद था। वह हमेशा माथे पर लाल धब्बा, आंखों में काजल और कंधे पर काला दुपट्टा ओढ़े रहता था। इसे उनकी गैंग के लोगो ने भी पहना था।

दुर्लभ कश्यप क्यों बने गैंगस्टर?

उनके पिता ने एक बार एक साक्षात्कार में कहा था कि उनका पालन-पोषण बहुत अच्छे से हुआ है। वह बड़ा होकर डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहता था। लेकिन 15 साल की उम्र से ही वह असामाजिक लोगों के साथ बड़ा होने लगा। उन्हें कम उम्र में प्रसिद्ध होने का भी शौक था। इसलिए उसने अपराध का आसान रास्ता चुना था।

देखते ही देखते वह उज्जैन का चर्चित हिस्ट्रीशीटर बन गया था। जिनसे बहुत कम उम्र में ही उन्होंने कई दुश्मन बना लिए थे. एक दिन आपसी दुश्मनी के चलते उनके दुश्मनों ने उन्हें मार डाला। इसलिए अपराध की दुनिया बहुत छोटी है।

दुर्लभ कश्यप का अपराध?

उसने 17 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में प्रवेश किया था। उसके अपराध का मुख्य स्रोत सोशल मीडिया था। वह फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए आपराधिक वारदातों को अंजाम देता था। वह आए दिन फेसबुक पोस्ट के जरिए रंगदारी, हफ्ता वसूली, लूट व सुपारी लेता था।

उज्जैन में युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। धीरे-धीरे उसके गिरोह में 100 से ज्यादा लड़के शामिल हो गए। उसने धीरे-धीरे शहर में आतंक फैलाना शुरू कर दिया। उनके नाम से चाय वाले से लेकर बड़े कारोबारी तक कांपते थे. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक 18 साल के लड़के ने किस तरह का आतंक मचा रखा था।

उज्जैन में धीरे-धीरे कई दुश्मन बनते जा रहे थे। उसमें उसके सबसे बड़े दुश्मन शाहनवाज और शादाब गैंग के लोग थे। उस गिरोह के लोगों की ओर से हमेशा जगाने की कॉल आती रहती थी। उन्हीं से रंजिश के चलते उसकी हत्या की गई थी।

कैसे पकड़ा गया दुर्लभ कश्यप?

दुर्लभ कश्यप का अपराध दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा था। वह सोशल मीडिया के जरिए सरेआम रंगदारी, हफ्ता वसूली, लूटपाट और सुपारी लेने जैसे काम करता था। इस वजह से बहुत छोटी उम्र से ही बच्चे अपराध की दुनिया में आ गए।

उसका बढ़ता अपराध उज्जैन पुलिस के लिए बड़ी पसंद था। आईपीएस सचिन अतुलकर उस समय उज्जैन पुलिस के एसपी हुआ करते थे। उसने दुर्लभ और उसके गण के खिलाफ हिस्ट्रीशीटर की सूची तैयार की थी। उसने 2018 में एक ऑपरेशन के दौरान दुर्लभ और उसके गिरोह के 23 लोगों को गिरफ्तार किया था।

दुर्लभ को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। लेकिन अब उसके गिरोह के नाबालिग लड़कों की वजह से उन्हें बाल सुधार केंद्र भेज दिया गया. आईपीएस सचिन अतुलकर एक बार जेल में दुर्लभ से मिलने गए थे। उन्होंने दुर्लभ को सबसे महत्वपूर्ण बात बताई थी कि:- “यदि आप जेल में रहेंगे, तो आप जीवित रहेंगे। आपने अपनी उम्र से भी ज्यादा दुश्मन बना लिए हैं। ” इससे दुर्लभ को गहरा आघात लगा। उन्हें अपनी जान की भी चिंता सता रही थी।

इसलिए वह करीब एक साल तक जेल में रहा। लेकिन उन्होंने किसी वजह से 2020 में अपनी रिलीज करवा ली। जो उनके जीवन का अंतिम वर्ष था।

दुर्लभ कश्यप की हत्या कैसे हुई?

दुर्लभ 2020 में जेल से बाहर आया और उज्जैन में रहने लगा। उन दिनों वह अपनी गैंग के लड़कों के साथ कई रात बाइक पर घूमता था। वह फिरौती, हफ्ता वसूली और डकैती जैसे काम की प्लानिंग कर रहा था।

इसलिए वह हेलवाड़ी में एक चाय की दुकान पर गया और वसूली के लिए धमकाने लगा। इससे नाराज होकर चाय की दुकान का मालिक अगले दिन पुलिस के पास शिकायत करने पहुंचा। लेकिन पुलिस बल ने उसकी शिकायत लेने से इनकार कर दिया। यह बात दुर्लभ के कान में पड़ी। लिहाजा 06 सितंबर 2020 की रात 2 बजे वह अपने गिरोह के साथ चाय की दुकान पर पहुंचा. लेकिन दुकान पर शाहनवाज और शादाब गैंग के लोग पहले से मौजूद थे.

दुर्लभ और शादाब के बीच अनबन चल रही थी। इसी दौरान दुर्लभ ने शादाब पर देशी पिस्टल(Durlabh Kashyap Biography in Hindi) से फायर कर दिया था। इससे शादाब के गर्दन में गंभीर चोटें आई थी। इसके बाद शाहनवाज और उसके गिरोह के सदस्यों ने दुर्लभ को चारों तरफ से घेर लिया और चाकू से 36 बार वार कर उसकी हत्या कर दी.

महज 20 साल की उम्र में दुर्लभ की हत्या कर दी गई थी। 7 महीने बाद उनकी मां पद्मा ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। फिर पता चला की उस चाय की दुकान के मालिक ने भी जेल में आत्महत्या कर ली थी।

 

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Conclusion

आशा है की Durlabh Kashyap Biography in Hindi यह लेख पढ़कर आपको कुछ सिखने को तो जरूर मिला होगा की युवानी काल अपना career बनाने, माँ बाप की सेवा करने का और संसार बसाने की उम्र होती है, कैसे सिर्फ एक गलत फैसला या गलत सोबत आपकी ज़िन्दगी बर्बाद कर सकती है यह हमें Durlabh Kashyap Biography in Hindi पढ़कर समज में आता है. कृपया इसे अन्य लोगो तक जरूर पहुचाये ताकि अन्य भी दुर्लभ कश्यप की जीवनी हिंदी में पढ़कर जीवन में क्या सही है और क्या गलत इसका विचार कर पाए! धन्यवाद.

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