First Love Marriage in the World | दुनियाँ की First प्रेम कहानी

चलिए आज के लेख में हम एक बड़े ही Special topic, First Love Marriage in the World के बारे में बात करते है! देखिए Normally हमने अपने जीवन में बहुत बार सुन रखा होता है की उस भाई के बेटे ने उस भाई की बेटी के साथ भागकर शादी की या फिर लव मेरेज कर लिया। लेकिन क्या अपने कभी सोचा है या यह खोजने की कोशिश की है की First Love Marriage in the World कौनसा था? अगर आप जानने के लिए उत्सुक है तो फ़िक्र ना करे. आज के लेख में हम First Love Marriage in the World के बारे में ही विस्तार से बात करेंगे। आये शुरू करे.

दोस्तों क्या आप जानते है आजकल इंटरनेट पर एक चैलेंज खूब वायरल हो रहा है। ये चैलेंज है कपल चैलेंज, जिसमें कपल सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के साथ फोटो डालते हैं या अपनी लव स्टोरी के बारे में बताते हैं। ये कपल चैलेंज सेलेब्स की वजह से और भी ज्यादा वायरल हो रहा है. क्योंकि वे इस चैलेंज में हिस्सा ले रहे हैं।

इस चैलेंज को कपल गोल के तौर पर भी देखा जा रहा है। किसी की जोड़ी है गोल विराट-अनुष्का की जोड़ी रोमी भाटिया तो किसी की गोल है दीपिका-रणवीर की जोड़ी। भले ही इन सेलेब्स के लव स्टोरीज कई मायनाओं में काफी फेमस और खास हैं. लेकिन उनकी लव स्टोरी (First Love Marriage in the World) को बेस्ट नहीं कहा जा सकता। क्योंकि एक ऐसी जोड़ी है, जो कपल का लक्ष्य तो खुद सेलेब्स का भी होता है और वो है भगवान शिव और पार्वती जी की जोड़ी!

First Love Marriage in the World

First Love Marriage in the World: तो दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बतादे की First Love Marriage in the World को लोग शिव और पार्वती विवाह को मानते है. शिव विवाह कोई साधारण विवाह नहीं था। शिव विवाह प्रेम, समर्पण और तप की पराकाष्ठा थी। इस कहानी के आगे दुनिया की सबसे बड़ी लव स्टोरी फेल हो जाती है।

जहां तक मशहूर प्रेम कहानियों की बात है तो सबसे ज्यादा जो नाम दिमाग में आते हैं वे हैं:- लैला-मजनू, हीर-रांझा, सलीम-अनारकली, शाहजहां-मुमताज, बाजीराव-मस्तानी, शीरी-फरहाद आदि। लेकिन एक प्यार भी है कहानी जो शायद दुनिया की सबसे पुरानी है और इसके बारे में बहुत से लोग जानते होंगे लेकिन ये बात नहीं जानते होंगे। यह भगवान शिव और माता पार्वती की प्रेम कहानी है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सभी पुराणों में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से जुड़ी बातें मिलती हैं।

यह कहानी एक जन्म की नहीं है। पार्वती पूर्व जन्म में भी शिव की पत्नी थीं, तब उनका नाम सती था और वे प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। प्रतापी राजा दक्ष ने जानबूझकर अपने दामाद शिव का अपमान किया, जिससे सती आहत होकर हवनकुंड में कूद पड़ीं। सती के वियोग में भगवान शिव ने रूद्र अवतार के साथ प्रजापति दक्ष का सिर धार से अलग कर दीया। और बाद में शिव घोर तपस्या में लीन हो गए।

दूसरी ओर, माता सती ने पर्वतराज हिमालय में माता पार्वती के रूप में जन्म लिया। उस दौरान दैत्य तारकासुर का आतंक रहता था। तारकासुर को भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि उसे भगवान शिव के पुत्र के अलावा कोई नहीं मार सकता था। लेकिन भगवान शिव तपस्या में लीन थे और पुत्र का विवाह भगवान शिव से होना जरूरी था।

उधर माता पार्वती ने भोलेनाथ को फिर से पाने के लिए भोलेनाथ की तपस्या शुरू कर दी। सभी देवता भी चाहते थे कि शिव का विवाह पार्वती से हो। जिसके लिए सभी देवताओं ने भगवान शिव के विवाह की योजना बनाई और भोलेनाथ की तपस्या भंग(First Love Marriage in the World) करने के लिए कामदेव को भेजा। कामदेव ने शिव की तपस्या भंग कर दी, लेकिन भगवान शिव ने क्रोधित होकर अपने तीसरे नेत्र से उन्हें भस्म कर दिया।

अब पार्वती ने निश्चय कर लिया था कि वह भोलेनाथ से ही विवाह करेंगी। शिव को अपना वर बनाने के लिए माता पार्वती ने घोर तपस्या की। उनकी तपस्या के कारण हर ओर हाहाकार मच गया। बड़े-बड़े पहाड़ों की नींव डगमगाने लगी। यह देखकर भोले बाबा ने अपनी आंखें खोलीं और पार्वती से एक अमीर राजकुमार से विवाह करने का आग्रह किया।

भगवान शिव ने इस बात पर भी जोर देते हुए पार्वती से यह भी कहा की तपस्वी के साथ रहना आसान नहीं होगा। लेकिन माता पार्वती जिद पर अड़ी थीं, उन्होंने साफ कर दिया था कि वह भगवान शिव से ही शादी करेंगी। अब पार्वती की इस जिद को देखकर भोलेनाथ पिघल गए और सभी देवताओं के बहुत आग्रह पर भगवान शिव माता पार्वती से विवाह करने के लिए तैयार हो गए।

जब भगवान शिव बारात लेकर माता पार्वती के यहां पहुंचे तो इस जुलूस में सभी तरह के लोग, गण, दैत्य, दैत्य, देवता, जानवर, कीड़े-मकोड़े, मकड़े, भूत, पिशाच और विक्षिप्त लोग बारातियों के रूप में माता पार्वती के यहां पहुंचे। ऐसी बारात देखकर देवी पार्वती की मां डर गईं और उन्होंने अपनी बेटी का हाथ भगवान शिव को सौंपने से इनकार कर दिया। माता पार्वती ने देखा कि स्थिति बिगड़ती (First Love Marriage in the World) जा रही है इसलिए उन्होंने भगवान शिव से हमारे रीति-रिवाजों के अनुसार तैयार होने का अनुरोध किया।

उसके बाद भगवान शिव को दिव्य जल से स्नान कराकर, पुष्पों से सुसज्जित कर माता पार्वती के यहां ले जाया गया। जब भगवान शिव दिव्य रूप में पहुंचे, तो पार्वती की मां ने तुरंत उन्हें स्वीकार कर लिया और भगवान ब्रह्मा की उपस्थिति में विवाह(First Love Marriage in the World) समारोह शुरू हुआ। माता पार्वती और भोले बाबा ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई और विवाह संपन्न हुआ।

शिव और माता पार्वती का विवाह कोई साधारण विवाह नहीं था। शिव विवाह प्यार, समर्पण और दृढ़ता की एक सच्ची कहानी है। इस लव स्टोरी के आगे दुनिया की बड़ी से बड़ी लव स्टोरी भी फेल हो जाती है.

शिव पुराण के अनुसार जिस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था उस दिन को महाशिवरात्रि के पर्व के रूप में मनाया जाता है और जिस स्थान पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था वह स्थान आज उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले का एक गांव है। त्रियुगी नारायण के नाम से जाने जाते हैं।

शिव से विवाह करने के बाद, पार्वती उनके साथ कैलाश चली गईं और इस तरह दो जन्मों से चल रही प्रेम कहानी का सुखद अंत हुआ।

तो फिर लव या अरेंज मैरिज में कौन सी बेस्ट है?

First Love Marriage in the World: क्षणिक सौन्दर्य पर आधारित प्रेम, प्रेम नहीं, धोखा है। सुन्दरता देह से अधिक प्रेम में होनी चाहिए। क्योंकि जीवन का आधार सच्चा प्रेम और विश्वास है। यदि कोई प्रेम की परिभाषा से परिचित है, तो केवल ब्रह्म विवाह/अरेंज मैरिज ही उपयुक्त है। कम से कम शादी हो जाए और शादी हो जाए तो प्यार भी हो जाता है।

हमारे विचारों को अन्यथा न लें। हम यह नहीं कह रहे हैं कि कोई भी शादी एक दूसरे से बेहतर है। हमारे विचार से और शायद सभी के दृष्टिकोण से वह विवाह ही श्रेष्ठ है, जिसमें जीवन भर साथ रहने का संकल्प और एक-दूसरे पर सच्चा प्रेम और विश्वास हो। इसके बारे में अवश्य सोचना.

 

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Conclusion

तो आशा है आज के लेख से आपको First Love Marriage in the World किसका था, किनके बिच हुआ था और कैसे हुआ था इस बात की अच्छे से जानकारी मिल गयी होगी। अगर इस लेख से आपको कुछ अच्छा जानने को मिला हो तो कृपया इस First Love Marriage in the World के लेख को और लोगो तक भी जरूर पहुचाये। लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत आभार।

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