Vidyalaya Par Kavita | विद्यालय पर कविता हिंदी में

नमस्कार दोस्तों आज हम आपके लिए Vidyalaya Par Kavita इन हिंदी लेकर आए हैं, जिसे आप सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं। कर सकता है! स्कूल तो सभी जाते हैं लेकिन स्कूल एक ऐसी जगह है जिसे इंसान बड़े होने के साथ हमेशा याद करता है।

हमारे स्कूल के वो दोस्त भी हमसे बिछड़ जाते हैं और हम सब अपने काम में लग जाते हैं, मेरे साथ भी ऐसा ही है, लेकिन स्कूल के बचपन का कोई दोस्त मिल जाए तो पुरानी यादें फिर ताजा हो जाती हैं!

तो चलिए आज हम आपके लिए यही सब बातो को ध्यान में रखते हुए Vidyalaya Par Kavita यानि विद्यालय पर कविता हिंदी में लाये है जिसको पढ़कर या गुनगुनाकर आप भी अपने उन सुनहरे स्कूल के दिनों को बड़ी भावुकता से याद कर सकेंगे और अपने लम्हो को यादगार बना पाएंगे। आये देखते है:

Vidyalaya Par Kavita | विद्यालय पर कविता हिंदी में

तो आये अब हम Vidyalaya Par Kavita देखते है जो की आप निचे दी गयी इन पन्क्तिओ के द्वारा पढ़ सकते है:

अधकार को दूर कर जो प्रकाश फैला दे।
बुझी हुई आश मे विश्वास जो जगा दे।।

जब लगे नामुमकिन कोई भी चीज।
उसे मुमकिन बनाने की राह जो दिखा दे वो है शिक्षा।।

हो जो कोई असभ्य, उसे सभ्यता का पाठ पढ़ा दे।
अज्ञानी के मन में, जो ज्ञान का दीप जला दे।।

हर दर्द की दवा जो बता दे.. वो है शिक्षा।
वस्तु की सही उपयोगिता जो समझाए।।

दुर्गम मार्ग को सरल जो बनाए।
चकाचौंध और वास्तविकता में अन्तर जो दिखाए।।

जो ना होगा शिक्षित समाज हमारा।
मुश्किल हो जाएगा सबका गुजारा।।

इसानियत और पशुता के बीच का अन्तर है शिक्षा।
शाति, सुकून और खुशियों का जन्तर है शिक्षा।।

भेदभाव, छुआछुत और अधविश्वास दुर भगाने का मन्तर है शिक्षा।
जहाँ भी जली शिक्षा की चिंगारी, नकारात्मकता वहा से हारी।।

जिस समाज में हों शिक्षित सभी नर-नारी।
सफलता-समृद्धि खुद बने उनके पुजारी।।

इसलिए आओ शिक्षा का महत्व समझे हम।
आओ पूरे मानव समाज को शिक्षित करें हम।।

Mera vidyalaya par kavita

बच्चों को स्कूल भिजाएं,
अक्षरब्रह्म का ज्ञान कराएं।

बच्चे तो अनगढ़ माटी हैं,
इनको सुन्दर गुलदान बनाएं।

शिक्षा सम्मानों की खेती है,
आओ इनका मान कराएं।

विद्यालय शिक्षा के मंदिर हैं,
बच्चों से पूजन करवाएं।

सैर-सपाटे भूल चले, बच्चे फिर स्कूल चले।
छुट्टी वाले दिन खर्चे शुरू पढ़ाई के चर्चे

आलस पर दे धूल चले, बच्चे फिर स्कूल चले।
कक्षा नई नए बस्ते नन्हे-मुन्ने गुलदस्ते

हंसते-गाते फूल चले, बच्चे फिर स्कूल चले।
रंगों का रेला बच्चे खुशियों का मेला बच्चे
तन-मन झूला झूल चले, बच्चे फिर स्कूल चले।

Vidyalaya par kavita hindi mein

क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
स्कूल जाते थे हम सब मिल के..
स्कूल के दिनों के वह दोस्त मिल के..
स्कूल जाते वक़्त लगता था वह पेड़..
जहा लगते थे अमरूद और बेर…
देखते ही कूद पड़ते थे हम सब शेर…
स्कूल यूनिफार्म करके थोड़ा सैल..
क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
तब करते पत्थर के हमले…
भरते फिर हमारी मुट्ठी के गमले
ऐसा थोड़ी देर ही चलता..
नहीं तो गाली सुनना ही पड़ता…
क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
तब आती स्कूल जाने की बारी..
पर हमें बोर होती थी वो प्रेयर(prayer) हमारी…
इसकी सजा मिलती थी हमें रोज..
खा के मास्टर जी के डण्डे बहुत..
क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
क्लास में जब हम चले जाते..
पूरी क्लास हमें हसता ही पाते..
जब कोई पुछे इसपे क्वेश्चन(question)…
हम कहते हम हैं ही बेशरम..
क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
जब पढ़ते थे हम पाठ…
तब किस्मत छोड़ती थी हमारा साथ..
याद तो तब रह जाता था …
स्कूल छूटते ही सब सपाट हो जाता था..
क्या थी वह बचपन की ज़िंदगानी..
याद आती है वो यादें प्यारी..
मिल के सब जाते थे ग्राउंड..
सबसे ज्यादा क्रिकेट का साउंड..
बॉल तो बैट (bat) पे आ जाती थी…
हारने का जश्न मना जाती थी..
इसे भी पढ़िए:

Conclusion

तो दोस्तों हमें सम्पूर्ण आशा है की आज के इस लेख में इन Vidyalaya Par Kavita इन हिंदी में पढ़कर आपको जरूर अपने उन सुनहरे स्कूल के दिनों की याद आयी होगी और दोस्तों के साथ बिताये वह पल भी ताज़ा हो गए होंगे, आप चाहे तो इन Vidyalaya Par Kavita को आपने उन दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते थे जिनके साथ अपने वो यादगार वक़्त बिताया था! खूब खूब आभार!

Leave a Comment