प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए | Prerak Prasang in Hindi

आइये आज हम आपको प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए (Prerak Prasang in Hindi) बताते है जो की किसी भी विद्यार्थी के जीवन में उन्हें अपनी पढाई के लिए और संघर्ष के महत्व को समजने के लिए बहुत ही उपयोगी होती है.

तो आपसे निवेदन है आज का यह लेख आखिर तक जरूर पढ़े जिसमे प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए बताई जाने वाली है. जो ना सिर्फ उन्हें अपनी पढाई के लिए Motivate करेंगी बल्कि उन्हें अपने एग्जाम में भी अगर कभी भी प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए या Prerak Prasang in Hindi लिखने को कहा जाए तो वे लिख पाएंगे।

तो आइये अब बिना समय गवाए लेख शुरू करते है और प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए जानते है.

प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए | Prerak Prasang in Hindi

प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए: तो आइये अब हम एक एक करके ऐसी 4 प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए जानते है जिन्हे पढ़कर विद्यार्थी को अपने जीवन में जरूर एक बड़ी सिख मिलेगी और वे अपनी पढाई के प्रति और सजाग हो पाएंगे।

एकाग्रता का महत्व – Prerak Prasang kahani

वीर बहादुर सर्कस में काम करता था। वह कुछ ही समय में खतरनाक शेर को भी वश में कर लेता था। एक दिन एक युवक सर्कस में आया। वह जानवरों के हाव-भाव और चाल-चलन पर रिसर्च कर रहे थे।

उन्होंने वीर बहादुर से कहा, ‘मैंने आपका नाम बहुत सुना है। तुम एक खतरनाक शेर को भी कैसे वश में करते हो?’ वीर बहादुर मुस्कुराए और बोले, ‘देखो, यह कोई रहस्य नहीं है। आप सही समय पर आए हैं। आज ही मुझे एक खतरनाक शेर को वश में करना है। उसने कई लोगों को अपना शिकार बनाया है। तुम मेरे साथ चलो और खुद देखो कि मैं यह कैसे करता हूं।’

युवक ने देखा कि वीर बहादुर अपने साथ न तो कोई शस्त्र और न ही रक्षा के लिए कोई अन्य वस्तु ले गया है। वह अपने साथ केवल एक लकड़ी का स्टूल ले गया है। उन्हें आश्चर्य हुआ कि वीर बहादुर खतरनाक शेर को स्टूल से कैसे वश में करेंगे। जैसे ही शेर वीर बहादुर की ओर दहाड़ता, वह स्टूल के पैर शेर की ओर कर देता।

शेर स्टूल के चारों पैरों पर ध्यान लगाने की कोशिश करेगा और बेबस हो जाएगा। व्याकुलता के कारण शेर जल्द ही वीर बहादुर का पालतू बन गया। इसके बाद वीर बहादुर ने युवक से कहा, ‘अक्सर ऐसा होता है कि एकाग्र व्यक्ति साधारण होते हुए भी सफल हो जाता है, लेकिन असाधारण व्यक्ति भी व्याकुलता के कारण सिंह की तरह पराजित हो जाता है।’ युवक ने तभी निश्चय कर लिया कि जीवन में सब कुछ एकाग्रता से करेगा..!!

शिक्षा:-

जित कभी भी इंसान का शरीर कितना तगड़ा है या छोटे बड़े पर निर्भर नाही करती बल्कि उसकी बुद्धिमता और समझदारी का परिणाम होती है.

लालच – प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए

एक बार एक गाँव था जीसमें एक अमीर सेठ रहता था, उसके बंगले के पास ही एक गरीब मोची अपनी छोटी सी दुकान चलता था। उस मोची की एक खास बात यह थी कि वह भगवान के भजन गुनगुनाते ही जूते सिलता था. लेकिन सेठ ने कभी उसके भजन पर ध्यान नहीं दिया।

एक दिन सेठ व्यापार के सिलसिले में विदेश गया और घर लौटते समय उसकी तबीयत बहुत खराब हो गई। लेकिन पैसे की कमी न हो, इसलिए देश-विदेश से वैद्य, वैद्य और वैद्य बुलाये गये, पर सेठ का रोग कोई ठीक न कर सका। अब सेठ की तबीयत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी। वह फिर भी चल नहीं पाता था।

एक दिन वह घर में अपने बिस्तर पर लेटे थे, अचानक उन्हें मोची के भजन गाने की आवाज सुनाई दी, आज सेठ को मोची का भजन पसंद आ रहा था, थोड़ी ही देर में सेठ इतना मंत्रमुग्ध हो गया कि उसे लगा जैसे वह वास्तव में मोची के साथ मिलन कर रहा हो सुप्रीम सोल। मोची के भजन सेठ की बीमारी दूर कर रहे थे। कुछ देर के लिए सेठ भूल गया कि वह बीमार है, उसे अपार आनंद मिला।

कुछ दिनों तक यही चलता रहा, अब धीरे-धीरे सेठ की सेहत में सुधार होने लगा था। फिर एक दिन उसने मोची को बुलाकर कहा की बड़े-बड़े डाक्टर मेरी बीमारी का इलाज नहीं कर सके पर तुम्हारे भजन ने मेरी तबीयत ठीक कर दी, ऐसा कह कर सेठ ने उसे 1000 रुपये का इनाम दिया।

लेकिन उस रात मोची को नींद ही नहीं आई, वह सारी रात यही सोचता रहा कि इतना पैसा कहाँ छुपाऊँ और उससे क्या ख़रीदूँ? इसी सोच के कारण वह इतना परेशान हो गया कि अगले दिन काम पर भी नहीं जा सका। अब तो जैसे भजन गाना ही भूल गए थे, धन से ही मस्त थे।

अब उसने काम पर जाना बंद कर दिया और धीरे-धीरे उसकी दुकानदारी भी चरमराने लगी। इधर सेठ की तबीयत फिर बढ़ती जा रही थी। एक दिन मोची सेठ के बंगले पर आया और बोला, सेठ जी, आप ये पैसे वापस रख लीजिए, इन पैसों की वजह(प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए) से मेरा धंधा चौपट हो गया, मैं भजन गाना भूल गया। इस पैसे ने भगवान से मेरा रिश्ता तोड़ दिया। मोची ने पैसे लौटा दिए और अपने काम पर लग गया। और कुछ ही समय में वह फिर से अपने भजन और दैनिक कार्यों में व्यस्त हो गया।

शिक्षा:-

दोस्तों यह सिर्फ एक कहानी नहीं है, यह एक सीख है कि कैसे पैसे का लालच हमें उन शक्तियों से दूर ले जाता है जिन्होंने हमारे जीवन को सुखी और सफल बनाया है। हां, यदि आप अपने पास आने वाले धन को अपने दिमाग में नहीं आने देते हैं, तो आप इसे किसी अच्छे काम में लगा सकते हैं या कहीं निवेश कर सकते हैं, लेकिन इसे अपने दिमाग पर हावी न होने दें। तब आपके जीवन की गति सुचारू रूप से चलती रहेगी। और आप अपने जीवन को एक सही दिशा दे पाएंगे। ईश्वर सभी को सद्बुद्धि दें।

सफलता के लिए लगातार सीखें: राजा और लकड़हारे की कहानी

एक बार एक राजा ने राजकीय कार्य के लिए एक बढ़ई को नियुक्त किया। राजा उसके काम से काफी खुश था, क्योंकि वह पहले ही महीने में लगभग 18 पेड़ काट चुका था।

अगले महीने बढ़ई ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह केवल 15 पेड़ ही काट सका। तीसरे महीने में अपनी पूरी ताकत लगाने के बाद भी वह केवल 12 पेड़ ही काट सका। धीरे-धीरे उसकी पेड़ों को काटने की क्षमता कम होने लगी।

एक दिन राजा उसके पास आया और उसकी उत्पादकता में कमी का कारण पूछा – बढ़ई ने उत्तर दिया – “महाराज, मेरी उम्र भी बढ़ रही है और शरीर का बल भी कम हो रहा है, इसी कारण मेरी उत्पादकता कम हो रही है।”

यह जानकर राजा ने पूछा, “तुमने कितनी देर पहले अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज की थी?” आश्चर्य से बढ़ई ने केवल एक बार उत्तर दिया।

तब राजा ने समझाया कि यही कारण है, कि तुम्हारे पेड़ काटने की उत्पादकता दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। पहले अपनी कुल्हाड़ी तेज करो, फिर तुम्हारी उत्पादकता बढ़ेगी।

शिक्षा:

काम को आसानी से करने के लिए चीजों को लगातार सीखते रहना चाहिए और कठिनाई आये तो उसकी जड़ तक जाना चाहिए, ताकि हम काम को आसानी से कर सकें और अपने काम में तेजी ला सकें।

भाग्य और पुरुषार्थ – सफलता पर प्रेरक कहानी

एक बार दो राज्यों के बीच युद्ध की तैयारी चल रही थी। दोनों राज्यों के शासक एक प्रसिद्ध संत के भक्त थे। वे अपनी-अपनी जीत के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए अलग-अलग समय पर उनसे संपर्क करते थे।

संत ने पहले शासक को आशीर्वाद देते हुए कहा, ‘तुम्हारी जीत निश्चित है।’

दूसरे शासक से उसने कहा, ‘तुम्हारी विजय संदिग्ध है।’

संत की बात सुनकर दूसरा शासक गया लेकिन उसने हार नहीं मानी और अपने सेनापति से कहा, ‘हमें मेहनत और पुरुषार्थ में विश्वास रखना चाहिए। इसलिए हमें जोरदार तैयारी करनी होगी। युद्ध की बारीकियों को दिन-रात सीखना पड़ता है। जान तक कुर्बान करने को तैयार रहना होगा।
इधर पहले शासक की प्रसन्नता का ठिकाना न था। अपनी जीत सुनिश्चित जानकर उन्होंने अपना सारा ध्यान मनोरंजन और नृत्य-संगीत में लगा दिया। उसके सैनिक भी रंगरेलियां मनाने में लग गए।

निश्चित दिन युद्ध आरंभ हो गया। जिस शासक को विजय का वरदान प्राप्त था उसे कोई चिंता नहीं थी। उसके सैनिक भी युद्ध अभ्यास नहीं करते थे। दूसरी ओर जिस शासक की विजय संदिग्ध बताई जाती थी, उसने और उसके सैनिकों ने युद्ध की अनेक बारीकियों(प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए) को जानने के लिए दिन-रात मेहनत की। उसने युद्ध में इन बारीकियों का इस्तेमाल किया और कुछ समय बाद पहले शासक की सेना को हरा दिया।

पहला शासक अपनी हार से बौखला गया और साधु के पास गया और बोला, ‘महाराज आपकी वाणी में दम नहीं है। आप गलत भविष्यवाणी करते हैं।’
उनकी बात सुनकर संत मुस्कराते हुए बोले, ‘बेटा, इतना घबराने की जरूरत नहीं है। आपकी जीत निश्चित थी, लेकिन उसके लिए मेहनत और प्रयास भी जरूरी था। किस्मत भी हमेशा मेहनती और मेहनती लोगों का साथ देती है और उसने दिया भी है, इसलिए जिस शासक की हार निश्चित थी उसकी जीत हुई।
संत की बात सुनकर पराजित शासक लज्जित हुआ और संत से क्षमा मांगकर वापस आ गया।

शिक्षा:-

यह सत्य है कि भाग्य भी पुरुषार्थियों का साथ देता है।

 

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Conclusion

तो आशा है इस लेख को पढ़के यह प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए आपको बेहद पसंद आये होंगे जो उनकी पढाई के प्रति सजागता के लिए तो इम्पोर्टेन्ट है ही लेकिन जीवन में लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भी उन्हें motivate करेंगी। तो अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो यह प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए (Prerak Prasang in Hindi) जरूर से अन्य बच्चो से शेयर करे, ताकि वे भी इन Prerak Prasang in Hindi से प्रेरणा ले सके. आभार।

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